यह मनोदशा को नियंत्रित करने में सहायता देती है (Anti-Depressant) : जिन लोगों को हल्दी की औषधि अवसाद और घबराहट को रोकने के लिए दी गयी, ये पाया गया की 7 हफ्तों बाद उनकी दशा में काफ़ी सुधार आया जबकि जिन्होने कोई औषधि नही ली, उनमें कोई भी सुधार नही पाया गया.
चोट को ठीक करने की अद्भुत क्षमता (Wound-healer): यदि आपको चोट लग गयी है या फिर सूजन आ गयी है तो हल्दी के उपयोग से आपको सामान्य से कही जल्दी आराम आ जाएगा. वैज्ञानिक मानते हैं यह हल्दी में मौजूद कुरकुमीन नामक तत्व की वजह से है.
दर्द-निवारक (Anti-pain): इब्यूप्रोफन (Ibuprofen) नामक अंग्रेज़ी दवा के साथ तुलनात्मक शोध (comparative study) में यह पाया गया की हल्दी गठिया जैसी बीमारी के मरीजों में बराबर मात्रा से दर्द-निवारण करने में प्रभावशाली है. यही नही, हल्दी का उपयोग कर रहे गुट के व्यक्तियों के जोड़ों में तनावरोधी प्रभाव भी हल्दी के कारण पाया गया है. साथ ही ब्रुफेन के दुष्प्रभाव से भी यह गुट सुरक्षित रहा. पित्ताशय के ऑपरेशन के उपरांत मरीज़ों को हल्दी के सेवन से दर्द और ऑपरेशन के कारण आई थकावट की निवृत्ति में भी अत्यंत लाभ मिला.
खून में शुगर की मात्रा को संतुलित करने में प्रभावशाली.
(Diabetic-controller): हल्दी के सेवन के उपरांत शोधकर्तायों ने पाया कि इससे इंसुलिन (insulin) नामक हारमोन के स्राव में बढ़ोतरी होती है तथा इससे इंसुलिन की कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होती है. इस कारण वैज्ञानिक ऐसा सोचते हैं कि भविष्य में कुरकुमीन से मधुमेह-नाशक दवाएँ भी बनाई जा सकती हैं.
उपशामक गुणवत्ता(Anti-inflammatory): हल्दी में उपशामक होने के गुण पाए गये हैं. यदि किसी भी कारण से शरीर के किसी भाग में शोथ उत्पन्न हो जाए तो हल्दी के उपयोग द्वारा ये पाया जाता है कि जलन और शोथ धीरे-धीरे कम हो जाते हैं.
वैज्ञानिकों द्वारा यह समझा जाता है की शोथ (inflammation) कार्य में सहायक कॉक्स 2 (COX-2), लिपो ऑक्सीजेनेस (Lipo-oxygenase) और नाइट्रिक ऑक्साइड सिनथेटेज़ (Nitric oxide Synthetase) नामक किन्वक (enzyme) तत्वों के उत्पादन को कम करके हल्दी अपना कार्य करती है.
गठिया से दिलाए निजात (Anti-arthritic): हल्दी के उपयोग से मिलता है गठिया जैसी तकलीफ़ से निजात. डिकोल्फ़ेनाक के मुक़ाबले में हल्दी की गुणवत्ता का मुकाबला किया गया तो यह पाया गया हल्दी दर्द निवारण में डाइक्लोफेनॅक (Diclofenac) से अधिक प्रभावशाली है और इसके प्रयोग से आल्लोपथिक (Allopathic) दवा के भयंकर दुष्प्रभावों से भी बचाव मिलता है.
कोलेस्टेरोल के बढ़ी हुई मात्रा को कम करती है (Cholesterol-regulator): हल्दी के सेवन स रक्त में बढ़ा हस कोलेस्टरॉल कम हो जाता है. पहले ये विचार रूप से प्रस्तुत किया जाने वाला तथ्य अब अनेक शोधों(researches) में सटीक पाया गया है.
विटामिन ई (Vitamin E) के मुक़ाबले में थोड़ी सी मात्रा हल्दी के उपयोग से रोगियों के खून में कोलेस्टरॉल की मात्रा लगभग 47 प्रतिशत कम थी. इसी तरह से जब एक अन्य शोध में एक हफ्ते तक हल्दी के प्रयोग के बाद कोलेस्टेरोल की मात्रा 12 प्रतिशत गिरावट पाई गयी. यही नही बल्कि यह भी पाया गया कि एल डी एल (LDL) की मात्रा में कमी थी और एच डी एल (HDL) की मात्रा बढ़ कर 33 प्रतिशत हो चुकी थी. इससे पता चलता है यह औषधि प्रकृति का कितना बड़ा वरदान है.
हल्दी के प्रयोग से पेट में अल्सर हो कम (Anti-Ulcer): हल्दी के प्रयोग द्वारा पेट में अल्सर को बड़ी जल्दी आराम आता है. खाने में इसका प्रयोग करने से पाचक शक्ति पर भी सकारात्मक असर पड़ता है. अम्लता (Acidity) बढ़ाने वाले तत्वों के साथ जब हल्दी भी लैब में परीक्षित जानवरों को दी गयी तो यह पाया गया कि अल्सर से बचाव करने में हल्दी बहुत उपयोगी है.
हल्दी के बारे में अन्य रोचक जानकारी (Some more Interesting Facts About Ayurvedic Herb Turmeric In Hindi)
वास्तव में यह औषधि 15 विभिन्न श्रेणियों की आल्लोपथिक दवाइयों के बारबार कारगर है. यही नही बल्कि हल्दी अन्य दवाइयों की भाँति दुष्प्रभावकारी भी नहीं है.
यह अनेक प्रकार के कैंसर या कर्क रोग की रोकथाम में भी सहायक है. भारतीयों में आल्झाइमर(Alzheimer’s), पारकिनसन (Parkinson) जैसे रोगों की कम दर का कारण वैज्ञानिक हल्दी को ही मानते हैं.
यह मस्तिष्क में अनेक कारणों से उत्पन्न शोथ (inflammation) का शमन करके अवसाद (depression) जैसे रोग का शमन भी करने में बहुत प्रभावशाली है.
यदि आपको बहुत नजला, जुकाम, खाँसी हो रहा है, तो गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर उसका सेवन करें.
त्वचा में निखार के लिए भी उबटन में हल्दी के जूस को मिलाकर हफ्ते में एक से दो बार अवश्य प्रयोग करें.
सावधानी
यदि आपके पित्ताशय में पथरी है तो हल्दी का प्रयोग न करें.
जिनकी प्रकृति गर्म है, उन्हें हल्दी आयुर्वेदीय सलाह के बाद ही उचित रूप से लेनी चाहिए ताकि आपको इसका लाभ मिल सके.
क्योंकि यह खून को पतला करती है, इसलिए कुछ आल्लोपथिक दवायों (anti-coagulants- warfarin) के साथ इसका उपयोग वर्जित है.
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